भारत में नहीं हो रहा दवा भंडारण के निर्देशों का पालन
सेहतराग टीम
अकसर जब आप कोई दवा खरीदते हैं तो उसके पैकेट पर ही उसके भंडारण से संबंधित निर्देश छपे होते हैं। कई बार आप पढ़ते हैं कि दवा के पैकेट पर लिखा होता है कि उसे ठंडे और शुष्क जगह पर रखा जाए। इसी प्रकार कई दवाओं को फ्रीज में रखना जरूरी होता है। कई दवाओं को अधिकतम 25 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखने का निर्देश होता है। क्या आपने ध्यान दिया है कि दवा दुकानदार इन दवाओं का भंडारण लिखित निर्देश के अनुसार करते हैं या नहीं। असलियत ये है कि शायद ही कोई दुकानदार इन निर्देशों का पालन करता है और यही वजह है कि इन दवाओं का असर घट जाता है। बीमारी पर ये दवाएं निष्प्रभावी साबित हो जाती हैं।
सरकार का रुख
दरअसल दवाओं के भंडारण से संबंधित दिशानिर्देशों का पूरे देश में विनिर्माता, वितरक और खुदरा विक्रेता पालन नहीं कर रहे हैं जिससे बाजार में उपलब्ध दवाओं की गुणवत्ता में गिरावट आ जाती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इस मामले में अपनी चिंता जताने के साथ-साथ जरूरी कदम उठाने पर भी विचार कर रहा है।
सूत्रों के अनुसार मंत्रालय ने इस मुद्दे पर एक प्रतिवेदन पर अधीनस्थ कानून समिति को भेजे जवाब में कहा है कि दवा विनिर्माता कंपनियों से लेकर वितरकों एवं आम दवा दुकानों तक कोई भी दवा-भंडारण के दिशानिर्देशों का सही-सही पालन नहीं करता है जिससे दवाओं का असर घट जाता है और कई मामलों में दवा निर्धारित समय से पहले ही बेअसर हो जाती है।
नियम क्या कहते हैं
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दवा एवं प्रसाधन अधिनियम एवं नियमावली में किसी भी विनिर्माता के लिए लाइसेंस के वास्ते परिसरों, उसके आसपास की स्थिति, स्वच्छता, कच्चे माले के भंडारण, दस्तावेजीकरण और गुणवत्ता नियंत्रण व्यवस्था के मापदंड आदि का स्पष्ट निर्धारण किया गया है।
अधिकारी ने कहा, ‘नियमावली दवाओं की बिक्री के लिए लाइसेंस की शर्तें तय करती हैं। उनमें दवाओं की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए उपयुक्त जगह, उपयुक्त भंडारण सुविधाएं शामिल हैं।’
दवा बन सकती है जहर
अधिकारी ने कहा, ‘संस्तुत स्थिति में किसी भी दवा का भंडारण यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि वह उस दौरान स्थिर बनी रहे। यदि उसका उपयुक्त भंडारण नहीं किया गया तो दवा का असर घट जाएगा और वह जहर बन सकती है।’
दवा एवं प्रसाधन अधिनियम का नियम 65 लाइसेंसधारी द्वारा पालन की जानी वाली शर्तों का निर्धारण करता है। अधिकारी ने कहा, ‘विनिर्माताओं, थोक और खुदरा विक्रेताओं द्वारा भंडारण की खराब स्थितियों को लेकर समय-समय पर चिंता प्रकट की गयी। माशेलकर समिति ने हर 200 खुदरा दुकानों के लिए एक और हर 50 विनिर्माता इकाइयों के लिए एक निरीक्षक की सिफारिश की थी।
दवा निरीक्षकों की भारी कमी
अधिकारी ने कहा, ‘देश में आठ लाख से अधिक दवा दुकानें और 1000 से अधिक दवा विनिर्माण इकाइयां हैं। तदनुसार 4200 औषधि निरीक्षकों की आवश्यकता है।’
अप्रैल, 2018 तक स्थिति यह थी कि राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में दवा निरीक्षकों की स्वीकृत संख्या 1600 थी जिनमें करीब 1200 ही उपलब्ध थे।
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